Add To collaction

साजिश (अ थ्रिलर स्टोरी) एपिसोड 16

क्वेलिटी किंग
सुमित का गैराज अभी सुबह की चहलकदमी में था, हर कोई अपने काम मे व्यस्त था, तभी एक लड़के ने एसिड की चार पांच बोतल में से एक बोतल अलग  रखी हुआ देखा। सभी बोतलों में एक जैसा लेबल लगा था, और खतरा के साथ जलती हुई आग की फ़ोटो भी थी।
वो उसे भी बाकी बोतलों के साथ रख ही रहा था कि अचानक सुमित ने उसे टोक दिया- "नही नही,  उसे वही रहने दो, वो स्पेशल है, थोड़ी देर में मेरा दोस्त अनुराग आएगा तो उसे दे देना ये वाला बोतल, वो अगकर कहेगा एसिड का स्पेशल वाला बोतल दे दो, मैंने बताया है उसे कोडवर्ड"

सुमित की बात सुनकर लड़के ने उस बोतल को अलग ही रहने दिया और कहा- "आपने कहीं जाना है क्या?"

"हां, नेहरा जी से मीटिंग है, लेकिन शायद मैं आ जाऊंगा तब तक, लेकिन अगर नही आया तो याद से उसे ये वाला बोतल ही देना।" सुमित बोला।

थोड़ी देर बाद

अनुराग दुकान में आया और एक आदमी को पास बुलाते हुए कहा- "सुमित कहाँ है?"

"वो मीटिंग में गये गये है" आदमी जवाब देते हुए बोला।

"पिंटू कौन है?" अनुराग ने सवाल किया, क्योकि सुमित से उससे कहा था कि अगर मैं दुकान पर ना हुआ तो पिंटू को कहना कि स्पेशल वाला एसिड दे दो।

"पिंटू…. वो किसी काम से दूसरी दुकान पर गया है,मैं फोन करके बुला लेता हूँ।" आदमी ने कहा।

"हाँ प्लीज" अनुराग ने कहा।

आदमी ने पिंटू को फोन मिलाया और बात करते करते नीचे काउंटर के आसपास ढूंढने लगा- "ये जो अलग रखा हुआ है, ये वाला देना है क्या?"

"हां हां…. वही जो किनारे पर रखा है" पिंटू ने कहा।

आदमी ने पिंटू से बात करते करते अनुराग को एक बोतल एसिड का किसी अखबार से ढक के दिया।

अनुराग एसिड लेकर अपने दो दोस्तों के साथ निकल पड़ा, आज रोशनी को एक आखिरी बार मिलने के खातिर उसने बुलाया था, और शायद रोशनी दोस्ती के खातिर आने को तैयार भी हो गयी।

दीपक की बात जब रोशनी से है रही थी कि वो बोटोनिक गार्डन जा रही है तो दीपक ने उसे अकेले जाने से रोकते हुए कहा- "नही रोशनी, अनुराग से मिलने की कोई जरूरत नही है, अब उसका दिमाग ठिकाने नही है, तुम्हे बताया तो था कि आजकल कैसी कैसी हरकते कर रहा है वो, वो हमें अलग करना चाहता है बस।"

"नही दीपक! वो बस माफी मांगने चाहता है अपने किये का, उसने खुद मुझे कहा कि वो आजकल ज्यादा ही पागल हो गया था, दीपक को भी बेवजह तँग किया और मुझे भी, वो अब समझ गया है कि प्यार छिनने से नही मिलता,उसे पाने के लिए एहसास होने जरूरी है।"  रोशनी ने कहा।

"लेकिन आज ही क्यो मिलना है, कल मिल लेना, आज तो मैं मीटिंग में फंसा हुआ हूँ" दीपक ने कहा।

"कोई बात नही, मैं कौन सा युद्ध लड़ने जा रही हूँ,बस मिलने ही तो जाना है। वैसे भी वो अकेले ही बोल रहा था।" रोशनी ने कहा।

"नही! अकेले जाने की जरूरत नही है। मेरी मीटिंग खत्म होगी शाम तक, हम शाम को चले जायेंगे" दीपक ने कहा।

"अरे नही यार! मैंने सिर्फ आधे घंटे के लिए जाना है , और इससे पहले भी मैं मिलती ही थी उससे, वो बस धमका सकता है, कुछ नही करेगा, वैसे भी उसकी बात से ऐसा लग रहा कि उसे सच मे बहुत पछतावा है।" रोशनी ने कहा।

"मेरी बात मान लो ना, रहने दो। जरूरत क्या है उससे मिलने की। उसके लिए तुम्हारा ना मिलना अगर सज़ा है तो दे दो उसे सजा, थोड़ा तो दिमाग से काम लो,अगर उसे पछतावा होता तो मुझे भी साथ बुलाता, तुम्हारे साथ साथ मुझसे भी माफी मांगता वो" दीपक ने कहा।

रोशनी कुछ कहती कि उसके फोन में एक और कॉल वेटिंग का नोटिफिकेशन आने लगा।
"दीपक मैं तुमसे बाद में बात करती हूँ, अभी उसी का फोन आ रहा है, बाय टेक केयर"

"लेकिन रोशनी…………"

फोन काट गया। रोशनी ने अनुराग का फोन उठाया तो अनुराग की आवाज सुनाई दी।

"मैं गार्डन में पहुंच गया हूँ।"

"मैं भी आ रही हूँ, पांच मिनट में…. " रोशनी ने कहा।

******
अनुराग गार्डन में बैठे दोनो दोस्तो को समझा रहा था - " जैसे ही मैं फोन करूँगा तुम गाड़ी से वो एसिड का बोतल ले आना, उसमे पानी है, लेकिन ये बात हम जानते है रोशनी नही। रोशनी को मैं पहले प्यार से समझाऊंगा फिर गुस्से से, और फिर उसे पानी को एसिड बताकर डराउंगा।"  कहते हुए अनुराग ने उनको गाड़ी में भेज दिया।

अनुराग गार्डन के पार्क में वापस आकर बेंच पर बैठ गया और रोशनी का इंतजार करने लगा।

रोशनी का इंतजार करते हुए दस मिनट ही बीते थे कि रोशनी आ गयी और बिना कुछ बोले ही बेंच में आकर बैठ गयी।
हाथ मे रुमाल लिए अपने पसीने को सुखाते हुए अनुराग के बोलने का इंतजार करने लगी।
अनुराग ने रोशनी को देखा तो उसके मन मे अजीब सी सिहरन हुई, वो अब भी अंदर से घुट रहा था, एक घुटन थी अनुराग के अंदर और एक मलाल सा था। मलाल सिर्फ इस बात का नही था कि रोशनी उससे प्यार नही करती। बल्कि मलाल इस बात का भी था की  रोशनी के नजर में उस के लिए प्यार के साथ साथ इज्जत भी नजर नही आ रही थी, ना रोशनी ने उससे कोई बात की ना उससे नजर मिलाई, आकर चुपचाप एक साइड बैठ गयी जैसे कोई अजनबी आकर बैठता है।

रोशनी ने भांप लिया कि अनुराग शायद उसे ही देख रहा है इसलिए उसकी तरफ बिना देखे रोशनी बोली- "क्यों बुलाया है यहां" 

अनुराग ने अपने हाथों को आपस मे मसलते हुए थोड़ी हीम्मत जुटाकर कहा- "अब कोई रास्ता नही है क्या?"

"किस रास्ते की बात कर रहे हो तुम?" रोशनी ने सवाल किया।

"मतलब हम हमेशा के लिए बिछड़ रहे है ना" अनुराग ने कहा।

रोशनी ने अनुराग की तरफ सिर घुमाते हुए कहा-"हम एक  थे ही कब जो बिछड़ रहे है"

"रोशनी…. मुझे पता है तुम मुझसे नाराज हो, लेकिन……" अनुराग कह ही रहा था कि उसे टोकते हुए रोशनी बीच मे ही बोल पड़ी- "सॉरी…… यही बोलना था ना तुमने…. तो बोल लो ना, और वैसे भी ये हमारी लास्ट मुलाकात है, जैसी तुमने हरकते शुरू कर दी है उस हिसाब से लगता नही की तुम दोबारा दोस्ती के भी काबिल हो" 

"दोस्ती नही चाहिए मुझे, मुझे तुम्हारी जरूरत है, और मैं चाहता हूँ कि तुम प्यार से मेरा साथ देने को तैयार हो जाओ" अनुराग ने भी अपनी बात पर जोर देते हुए कहा।

"अगर ना हुई तैयार तो।" रोशनी ने कहा।

"तुम्हे मुझसे शादी करने में दिक्कत क्या है, उस दीपक के पास है ही क्या, वो तो किराए के मकान में रह रहा है, और  अब तुम्हारे कम्पनी में नौकरी, शादी के बाद तुम उसके शौक पूरे करते फिरोगी, और भगवान ना करे कभी बिजनेस में लॉस हुआ तो बैकअप भी नही है, बर्बाद हो जाओगे तुम" अनुराग ने कहा।

"मैं एक एक करके दूँ तुम्हारे सवाल के जवाब?" रोशनी ने कहा।

"हां जवाब के लिए ही सवाल किया है" अनुराग बोला

"पहली बात तो तुममें और उसमे ये फर्क है कि वो ये नही कहता कि मैं उससे ही शादी करूँ, वो हमेशा से यही कहता था कि वो मुझे पसंद करता है और अगर तुम्हे कोई ऐतराज नही हो तो हम शादी कर सकते है। एक सवाल का जवाब मिल गया, दूसरा उसके पास कुछ नही है तो क्या हुआ, मुझे जरूरत ही नही किसी चीज की, मुझे बस एक सच्चा साथी चाहिए जो दीपक में दिखता है।
और रही बात बिजनेस में लॉस की, पहले तो मेरे पापा का आशीर्वाद इस बिजनेस से जुड़ा है, दूसरी बात मैं घाटे के सौदे हमेशा रिजेक्ट कर देती हूँ जैसे कि…… क्या बोलूं तुम्हे, उदाहरण के लिए तुमसे दोस्ती करके भी मुझे घाटा ही हुआ, दीपक को खोने वाली थी वो तो तुम्हारी सच्चाई सामने आ गयी। और बच गयी मैं।"

अनुराग दीपक की तारीफ सुन नही पा रहा था, उसने खड़े उठकर बेंच पर एक पैर टिकाया और कहा- "सांस भी ले लो…. बोलती हो तो बस बोलती जाती हो…. "

अनुराग रोशनी के बिल्कुल पास खड़ा था, और एक हाथ से उसके ठुड्डी को पकड़ के उपर की तरफ उठाते हुए कहा- "अगर मैं कहूँ की मैं तुम्हे किसी और का होने नही दूँगा"

रोशनी ने अपना एक झटका देकर उसका हाथ नीचे को झटका और कहा- "तुम कुछ भी नही कर सकते"

"मैं बहुत कुछ कर सकता हूँ, और तुम्हे पाने के लिए तो कुछ भी कर सकता हूँ।" अनुराग ने कहा।

रोशनी उठकर  जाने लगी तो उसे धक्का देकर वापस बैठा दिया। अनुराग एक हाथ से अपने दोस्तों को कॉल करते हुए दूसरे हाथ से रोशनी को उठने नही दे रहा था। जब भी वो उठने को होती अनुराग उसे वापस बिठा देता।

कहानी जारी है।


   11
1 Comments

Fiza Tanvi

27-Aug-2021 11:50 PM

Nice

Reply